क्या आदमियों को खाते हैं नागा जनजाति ? झूठ या हकीकत

 क्या आदमियों को खाते हैं नागा जनजाति ? झूठ या हकीकत

नमस्कार दोस्तों आप सबका स्वागत है फिर से मेरे इस नए ब्लॉग में दोस्तों आज हम बात करेंगे नागा जनजाति के बारे में जिसके बारे में बहुत कुछ कहा सुना जाता है और जानेंगे कितना सच है और कितना झूठ ?

दोस्तों नागा जनजाति ( adivasi ) अपने परिधान वेशभूषा और रीति रिवाजों को लेकर अपना अलग पहचान रखती है।

नागा जनजाति विशेषकर कि अपने संस्कृति को लेकर बहुत ही संवेदनशील है, इनकी संस्कृति यह कि आज भी ये अपने परिधानों में अपने संस्कृति को झलकाते हैं, नागा जनजाति जहां भी रहे अलग ही पहचान में आते हैं।

नागा जनजाति मुख्य रूप से भारत के नागालैंड ( Nagaland) राज्य में पाए जाते हैं। इसी जनजाति के कारण राज्य का नाम नागालैंड पड़ा होगा।


पूर्वोत्तर और अंतिम छोर में रहने के कारण नागा जनजाति देश के मुख्य धारा से अछूती रह जाती है, प्रकृति और जंगलों के बीच निवास करने वाली यह जाति प्रकृति के अनुरूप ही स्वयं को ढाल लेने में सक्षम होते हैं।

दोस्तों नागा जनजाति की एक और विशेषता यह रही है कि उन्होंने कभी भी दूसरों का शासन स्वीकार नहीं किया, अंग्रेजों ने भी इस जनजाति के ऊपर अपना शासन नहीं चला पाया।

और आज भी ये जनजाति अपने प्रथा और पुरानी परंपरा को अपनाई हुई है, 

लेकिन यह भ्रांति लोगों में फैली हुई है कि नागा जनजाति सबसे अलग थलग रहती है लेकिन ऐसा नहीं है यह सबसे मिलजुलकर रहती है और आतिथ्य सत्कार के लिए जानी जाती है।

नागा जनजाति के तीज त्यौहार प्रकृति के अनुरूप ही चलता है। प्रकृति का मिजाज बदलने को लेकर इनमें उल्लास के साथ प्रकृति या मौसम परिवर्तन का जश्न मनाते हैं।

दोस्तों आइए बात करते हैं जिसके बारे में नागा जनजाति को लेकर भ्रांति और अपवाह लोगों में फैलाई जाती है।

सबसे बड़ी भ्रांति और अपवाह यह है कि नागा लोग आदमियों को खाते हैं जो सबसे बड़ा झूठ है, और इसी झूठ के कारण लोग नागा जाति को लेकर अपना अलग विचार रखते हैं।

तो दोस्तों अगर आपको भी नागा जनजाति को लेकर यह अपवाह होगा तो आप अपने दिमाग से तुरंत इसे हटा दीजिए।

और नागा जनजाति को लेकर जो भी सवाल आपके मन में चल रहें होंगे वो कॉमेंट बॉक्स में जाकर अवश्य पूछें।

आपके लिए एक नए जानकारी के साथ नए ब्लॉग लेकर आऊंगी 

आशा करती हूं आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिए ताकि किसी को जनजाति समुदाय को लेकर कोई अपवाह ना रहें

धन्यवाद और जोहार दोस्तों


- अर्चना सिंह मार्को 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आदिवासी संस्कृति से जुड़ा मेले का मेरा पहला अनुभव

पटवारी के लिए 12 लाख फॉर्म भरे गए । Mp Patwari 2023 ke 12 lakh form bhare gaye

My First Blog